Dhanvantri




श्रीगोधाम महातीर्थ आनन्दवन पथमेड़ा का सबसे महत्वपूर्ण विभाग है ‘‘धनवन्तरी’’ ! गोधाम पहुँचने वाले प्रत्येक अनाश्रित लूले-लंगड़े, अंधे, अपंग, लाचार, दूर्घटनाग्रस्त एवं कत्लखानों में जा रहे छुड़ाए गये गोवंश को सर्वप्रथम यहीं प्रवेश मिलता है। धनवन्तरी में प्राथमिक ‘‘चैकअप व ईलाज’’ पश्चात गोवंश को उनकी शारीरिक स्थिति एवं सेवा-सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार बनायी गयी श्रेणीयों के विभागों में ‘‘रैफर’’ कर दिया जाता है तथा गंभीर रूप से लाचार,बीमार, दूर्घटनाग्रस्त व वृद्ध गोवंश को धनवन्तरी में पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलने तक रखा जाता है।
‘‘धनवन्तरी’’ में गोमाता की पीड़ा शीघ्रातिशीघ्र दूर कैसे हों, इस हेतु संतवृद, बह्मचारी साधक, पूर्णकालिक गोभक्त-गोसेवकजन और बीमारियों को आधुनिक विज्ञान की भाषा में समझने वाले प्रशिक्षित डाक्टर-कम्पाउडर हर समय हाजिर रहते हैं। यह त्रिस्तरीय व्यवस्था गोमाता की सेवा-सुरक्षा में कहीं चूक की गुँजाईश नहीं छोड़ती है। तभी तो पुरा भारत ही नहीं बल्कि पुरा विश्व गोधाम पथमेड़ा की गोसेवा-सुश्रुशा से प्रेरणा लेते हुए नतमस्तक है और आज यह स्थान ‘‘गोधाम महातीर्थ’’ के रूप में तीर्थों का तीर्थ कहलाता है।
गोमाता की कैंसर, गर्भाशय, फैंफड़ों तथा हड्डी एवं घाव आदि सभी बीमारीयों के अलग-अलग विभाग वर्गीकृत तो है हीं, साथ ही अलग-अलग बीमारियों में दिए जा सकने वाला अलग-अलग भोजन निश्चित मापदण्डानुसार गोमाताओं को निश्चित समय पर बदल-बदलकर दिया जाता है। सर्दीयों में वृद्ध गोवंश को दोनों समय (लापसी) मक्की, मैथी, अजवायन, सोआ, खोपरा, गुड़, तेल आदि को पक्का कर खिलाया जाता है, वहीं गर्मियों में ठण्डा रहने वाले ‘‘जौ’’ खिलाये जाते है।
यहाँ पर गोमाताओं की सेवा जन्म देने वाली ‘‘माँ’’ से भी कहीं अधिक आत्मीयता, प्रेम एवं समर्पण से होते देखकर हर कोई आगन्तुक सुखद संवेदनाओं और मानवीय गुणों के प्रति कटिबद्ध व संकल्पित सा हो जाता है। वृद्ध व बीमार गायों को दिन में कई-2 बार स्थान बदलवाना यानि पलटना, उनके बाजु में सहारे के लिए तकिए लगाकर रखने, दिन में दो-दो बार घावों की सफाई कर पट्टियाँ करने, सींग के कैंसर- विभिन्न फ्रैक्चर व पेट के आपरेशन करने, सभी गोवंश के लिए सर्दी में गर्मी में एवं गर्मी में सर्दी रखने के इंतजाम और 24 घण्टे सजग खड़े गोसेवकजन! ये सब दृश्य अद्भूत, अनुपम और अभूतपूर्व सी अनुभूति प्रदान करते हैं।
गोधाम पथमेड़ा के ‘‘धनवन्तरी’’ पहुँचने के बाद पीड़ित गाय के घाव व फ्रेक्चर पर मक्खी तक नहीं पहुँचे तथा गोमाता को स्वंय इस प्रकार हिलना तक नहीं पड़े कि वो और अधिक दुःखी हो, ऐसे सभी प्रबन्ध किए गए हैं। गाय को खड़ी करने, बैठाने, नहलाने, खुजलाने, स्थान बदलने आदि सभी क्रियाओं में परम्परागत चले आ रहे तरीकों के साथ-साथ आधुनिक उपकरणों व मशीनों का भी समावेश किया गया है। ट्रेक्टरों पर आरामदायक स्ट्रेक्चरों के अलावा छोटी व बड़ी ‘‘एम्बुलेंस’’ है, जो जमीन से ही अपनी ‘‘हैड्रोब्लिक पावर’’ की लिफ्ट से बीमार व लाचार गोमाता को अरामपूर्वक ऊपर व नीचे ले लेती है। गोधाम पथमेड़ा के 100-100 वर्ग किलोमीटर तक बीमार, दूर्घटनाग्रस्त एवं लाचार गोवंष को लेने यह ‘‘एम्बुलेंस’’ जाती है। बीमारियों के ईलाज में भी युगोयुग से चले आ रहे देशी प्रयोगों और आधुनिक चिकित्सा के सर्वोत्तम उपायों का मिश्रण यहाँ देखने को मिलता है।
‘‘धनवन्तरी’’ को अतिआधुनिक चिकत्सीय उपकरणों, दवाओं व डाक्टरों सहित एयरकण्डीशनयुक्त बनाने का कार्य जोरों पर जारी है। शीघ्र ही आने वाले समय में गोधाम पथमेड़ा के ‘‘धनवन्तरी विभाग’’ में गोमाता के शरीर के किसी भी अंग के एक्सरे, विभिन्न टेस्ट, सोनोग्राफी, बड़े से बडे़ आपरेशन की सुविधा के साथ अत्याधुनिक लैब का शुभारम्भ हो जायेगा।

2 comments:

  1. me bhi gou ke liya apne jaan dane ka liya thiyar jab bhi jaan ki jrurat uei tab mare jaan dena ka liyaq agrim pakti me khada ruga jai go mata

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    1. kripaya apni jaan nahi de kyoki aap chale gaye to gau raksha kauon karega ???? aap apne gau raksha ke kartavy se chutkara pana chahate hai kya ??? nahi

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